उत्तराखंड भगवान् की पवित्र भूमि है | उत्तराखंड एक संक्षिप्त परिचय
उत्तराखंड का प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है , जिसमे इस क्षेत्र को देवभूमि एवं मनीषियों की पूर्ण भूमि कहा गया है पुराणों , रामायण , महाभारत आदि धार्मिक ग्रंथो में इस क्षेत्र को ऋषिभूमि , पवित्र क्षेत्र कहा गया है स्कंदपुराण में पांच हिमालयी खण्डों नेपाल , मानसखंड , केदारखंड , जालंधर एवं कश्मीर का उल्लेख है , जिसमे मानसखंड और केदारखंड का सम्बन्ध उत्तराखंड राज्य से है स्कन्दपुराण में हरिद्वार से हिमालय तक के क्षेत्र को केदारखंड जिसे गढ़वाल क्षेत्र भी कहा जाता है तथा नंदा देवी पर्वत से कालागिरि तक के क्षेत्र को मानसखंड जो कुमाऊँ के नाम से जाना जाता है नंदा देवी पर्वत इन दोनों खंडो की विभाजन रेखा पर स्थित है गढ़वाल क्षेत्र को पहले बद्रिकाश्रम क्षेत्र , तपोभूमि , स्वर्ग भूमि एवं केदारखंड आदि नामों से जाना जाता था लेकिन बाद में १५१५ ईस्वी के आसपास इस क्षेत्र के पहाड़ी किलों को पवार शासक अजयपाल द्वारा विजित कर लेने के बाद गढ़वाल नाम प्रयुक्त होने लगा इसके अलावा देवप्रयाग में भगवान् राम का एक मंदिर है और ऐसे मान्यता है की भगवान राम ने अंतिम समय में यहाँ पर तपस्या की थी