सदभावना संदेश
इस कॅलिकाल में कितनी
आपदायें घटित हो रही है
अभी हाल में ही जापान में इतना बड़ा भूकंप आया और सूनामी आई
जिसके कारण वहाँ कितने लोग मारे गये
ऊपर से परमाणु सयन्त्र भी भूकंप के कारण फॅट गया जिससे वहाँ रेडियो धर्मी का असर पड़ने लगा
जिसका असर पास के पड़ोसी देश में भी होने लगा और साथ ही पूरी दुनिया में भी इसका ख़तरा हो सकता है
आगे बहुत बुरा समय आने वाला है कई साल पहले भी इस रेडियो धर्मी के कारण नागासाकी और हिरोशिमा
में इतने लोग मार गये थे
आज का मानव रुपये कमाने की होड़ में सब कुश भूलता जा रहा है वह अपने लिए ही मौत का समान तैयार कर रहा है
पूरी दुनिया में जीतने भी मोबाइल टवर लगे हुए हैं सभी ख़तरे की घंटी हैं
हर आदमी इनके पीछे भागकर अपने लिए ख़तरा मौल ले रहा है
रुपये कमाने की होड़ में वह इंसानियत भी भूलता जा रहा है
समाज में आदमी-आदमी के बीच प्यार ख़त्म हो गया है
भाई-भाई को भूलता जा रहा है
दुकानदार भी रुपये के चक्कर में सब्जियों में मिलावट कर रहा है
जिससे सेहत को भी ख़तरा है
हर जगह अशांति फेली हुई है पूरा संसार अशांत है
सड़क में ही देखो हर आदमी को जल्दी है आगे जाने की जिसके कारण वह जानवरों को भी रौंद देता है
जल्दी में कितने लोग आक्सिडेंट का शिकार हो जाते हैं
हर जगह बैईमानी ही बैईमानी हो रही है
पूरा संसार पाप की अग्नि में जल रहा है
कलियुग चरम सीमा पर है
जिसके कारण प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखा रही है और बार-बार प्राकृतिक आपदायें हो रही है
जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि इस संसार का आठवाँ आश्चर्य क्या है
तो अर्जुन ने कहा प्रभु लोग अपने ही बंधु-जनों की जब चिता जलाकर आता है तो फिर वैसा ही कर्म करता है
हज़ारों लोग मार रहे हैं फिर इंसान को वैराग्य नही होता है वह यह नही सोचता है की वह यह सब रुपया - पैसा किस के लिए कमा रहा है वह ले के तो कुश नही ले जाएगा तो वह इतना परेशान क्यों है रुपये की कमाने की इतनी होड़ क्यों है
आजकल मानव बहुत ही अशांत है रुपये कमाने की होड़ में वह बुरे काम कर रहा है
चोरी करने के लिए भी वह त्योहारों में बनावटी भक्ति दिखाता है
आज का मानव वर्त-उपवास में ही भगवान की तलाश करता है तरह-तरह के मंत्र में पड़ा हुवा है
फिर भी अशांत है
कहते हैं आग लगी आकाश में झर-झर पड़े अंगार संत ना होत जगत में तो जल मरता संसार
यह संसार महापुरुषों की शक्ति से ही बच हुआ है
फिर भी हम लोग नही समझते हैं
और तरह-तरह की बात करते हैं
विचार कीजिए संत लोग किस लिए इस संसार में आते हैं
वह इस संसार में शांति सदभावना का संदेह देते हैं
इस में उनका कोई स्वार्थ नही है
और आज का मानव यह बात नही समझता है और कई तरह की बातें करता है
संत-महापुरुष तो वे होते हैं जो सबका का भला चाहते हैं वे किसका का बुरा नही चाहते हैं
गंगा माता के पास जो भी जाता है तो गंगा माता किससे से उसकी जात-पात नही पूछती है और
उसकी प्यास भुझाति है
वही काम संत लोग करते हैं वे चाहते हैं की हर जगह शांत-सदभावना हो हर मनुशय शांति को प्राप्त करे सत्य को प्राप्त करे इस के लिए अध्यातम का रास्ता बताते हैं
अध्यातम ज्ञान जानने के बाद मनुष्य के मन में शांति होती है और जब मन में शांति होगी तो समाज में
शांति होगी तभी पूरी दुनिया में शांति होगी
और शांति के लिए हमें सच्चे सतगुरु के पास जाना होगा
जिस प्रकार प्यासा आदमी पानी के लिए तालाब के पास जाता है तालाब उसके पास नही आता है
अगर हमको नल से पानी भरना है तो उसे बाल्टी को नल के नीचे रखना होगा अगर ऊपर रखेगा तो पानी नही भर पाएगा
इसलिए हमे सच्चे सतगुरु के आगे झुकना होगा
कहता हैं झुकते वो हैं जिनमे जान होती है और आक़ड़े रहना तो मुर्दे की पहचान है
इसलिए हमें झुकना चाहिए आत्मा ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए
आत्मा का ज्ञान से ही मन में शांति होती है
जब मनुष्य उस पावन नाम का सुमिरन करता है तो अपने अंदर उस ज्योतिमय प्रकाश का दर्शन करता है
और परमानंद को प्राप्त करता है
उस पावन नाम की शक्ति से ही पूरा ब्रहमांड चल रहा है
ध्यान करने से मनुष्य में सद्गुणों का विकास होता है और वह भौतिक विद्या में भी पारंगत हो सकता हैरे
और हर जगह सफलता हासिल कर सकता है
और भगवान भी उसकी रक्षा करते हैं
और जब पूरी दुनिया आत्मा ज्ञान को जान लेगी तो तो पूरी दुनिया मैं शांति होगी और उनके अंदर सद्गुणों का विकास होगा और पूरी दुनिया शान्तिमय होगी और पूरी दुनिया में आपदायें ख़तम होगी
और फिर से सतयुग आएगा
इसलिए आयें सदभावना के रास्ते पर चलें
सच्चे सतगुरु की तलाश करें तभी देश मजबूत होगा और भारत विश्व का गुरु बनेगा
इसलिए आओ अध्यातम ज्ञान को जाने तभी कल्याण होगा
श्री सतगुरुचरण कमलेभियो नमः
इस कॅलिकाल में कितनी
आपदायें घटित हो रही है
अभी हाल में ही जापान में इतना बड़ा भूकंप आया और सूनामी आई
जिसके कारण वहाँ कितने लोग मारे गये
ऊपर से परमाणु सयन्त्र भी भूकंप के कारण फॅट गया जिससे वहाँ रेडियो धर्मी का असर पड़ने लगा
जिसका असर पास के पड़ोसी देश में भी होने लगा और साथ ही पूरी दुनिया में भी इसका ख़तरा हो सकता है
आगे बहुत बुरा समय आने वाला है कई साल पहले भी इस रेडियो धर्मी के कारण नागासाकी और हिरोशिमा
में इतने लोग मार गये थे
आज का मानव रुपये कमाने की होड़ में सब कुश भूलता जा रहा है वह अपने लिए ही मौत का समान तैयार कर रहा है
पूरी दुनिया में जीतने भी मोबाइल टवर लगे हुए हैं सभी ख़तरे की घंटी हैं
हर आदमी इनके पीछे भागकर अपने लिए ख़तरा मौल ले रहा है
रुपये कमाने की होड़ में वह इंसानियत भी भूलता जा रहा है
समाज में आदमी-आदमी के बीच प्यार ख़त्म हो गया है
भाई-भाई को भूलता जा रहा है
दुकानदार भी रुपये के चक्कर में सब्जियों में मिलावट कर रहा है
जिससे सेहत को भी ख़तरा है
हर जगह अशांति फेली हुई है पूरा संसार अशांत है
सड़क में ही देखो हर आदमी को जल्दी है आगे जाने की जिसके कारण वह जानवरों को भी रौंद देता है
जल्दी में कितने लोग आक्सिडेंट का शिकार हो जाते हैं
हर जगह बैईमानी ही बैईमानी हो रही है
पूरा संसार पाप की अग्नि में जल रहा है
कलियुग चरम सीमा पर है
जिसके कारण प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखा रही है और बार-बार प्राकृतिक आपदायें हो रही है
जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि इस संसार का आठवाँ आश्चर्य क्या है
तो अर्जुन ने कहा प्रभु लोग अपने ही बंधु-जनों की जब चिता जलाकर आता है तो फिर वैसा ही कर्म करता है
हज़ारों लोग मार रहे हैं फिर इंसान को वैराग्य नही होता है वह यह नही सोचता है की वह यह सब रुपया - पैसा किस के लिए कमा रहा है वह ले के तो कुश नही ले जाएगा तो वह इतना परेशान क्यों है रुपये की कमाने की इतनी होड़ क्यों है
आजकल मानव बहुत ही अशांत है रुपये कमाने की होड़ में वह बुरे काम कर रहा है
चोरी करने के लिए भी वह त्योहारों में बनावटी भक्ति दिखाता है
आज का मानव वर्त-उपवास में ही भगवान की तलाश करता है तरह-तरह के मंत्र में पड़ा हुवा है
फिर भी अशांत है
कहते हैं आग लगी आकाश में झर-झर पड़े अंगार संत ना होत जगत में तो जल मरता संसार
यह संसार महापुरुषों की शक्ति से ही बच हुआ है
फिर भी हम लोग नही समझते हैं
और तरह-तरह की बात करते हैं
विचार कीजिए संत लोग किस लिए इस संसार में आते हैं
वह इस संसार में शांति सदभावना का संदेह देते हैं
इस में उनका कोई स्वार्थ नही है
और आज का मानव यह बात नही समझता है और कई तरह की बातें करता है
संत-महापुरुष तो वे होते हैं जो सबका का भला चाहते हैं वे किसका का बुरा नही चाहते हैं
गंगा माता के पास जो भी जाता है तो गंगा माता किससे से उसकी जात-पात नही पूछती है और
उसकी प्यास भुझाति है
वही काम संत लोग करते हैं वे चाहते हैं की हर जगह शांत-सदभावना हो हर मनुशय शांति को प्राप्त करे सत्य को प्राप्त करे इस के लिए अध्यातम का रास्ता बताते हैं
अध्यातम ज्ञान जानने के बाद मनुष्य के मन में शांति होती है और जब मन में शांति होगी तो समाज में
शांति होगी तभी पूरी दुनिया में शांति होगी
और शांति के लिए हमें सच्चे सतगुरु के पास जाना होगा
जिस प्रकार प्यासा आदमी पानी के लिए तालाब के पास जाता है तालाब उसके पास नही आता है
अगर हमको नल से पानी भरना है तो उसे बाल्टी को नल के नीचे रखना होगा अगर ऊपर रखेगा तो पानी नही भर पाएगा
इसलिए हमे सच्चे सतगुरु के आगे झुकना होगा
कहता हैं झुकते वो हैं जिनमे जान होती है और आक़ड़े रहना तो मुर्दे की पहचान है
इसलिए हमें झुकना चाहिए आत्मा ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए
आत्मा का ज्ञान से ही मन में शांति होती है
जब मनुष्य उस पावन नाम का सुमिरन करता है तो अपने अंदर उस ज्योतिमय प्रकाश का दर्शन करता है
और परमानंद को प्राप्त करता है
उस पावन नाम की शक्ति से ही पूरा ब्रहमांड चल रहा है
ध्यान करने से मनुष्य में सद्गुणों का विकास होता है और वह भौतिक विद्या में भी पारंगत हो सकता हैरे
और हर जगह सफलता हासिल कर सकता है
और भगवान भी उसकी रक्षा करते हैं
और जब पूरी दुनिया आत्मा ज्ञान को जान लेगी तो तो पूरी दुनिया मैं शांति होगी और उनके अंदर सद्गुणों का विकास होगा और पूरी दुनिया शान्तिमय होगी और पूरी दुनिया में आपदायें ख़तम होगी
और फिर से सतयुग आएगा
इसलिए आयें सदभावना के रास्ते पर चलें
सच्चे सतगुरु की तलाश करें तभी देश मजबूत होगा और भारत विश्व का गुरु बनेगा
इसलिए आओ अध्यातम ज्ञान को जाने तभी कल्याण होगा
श्री सतगुरुचरण कमलेभियो नमः
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