एक बार एक आदमी एक साधु महाराज के पास गया और कहने लगा आप बहुत ज्ञानी हैं आपने बहुत से शिष्यों का मार्गदर्शन किया है क्या आप मेरा भी मार्गदर्शन करेंगे तो साधु महाराज जी कहते है बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है तो वह आदमी कहता है में भगवान का दर्शन करना चाहता हूँ क्या आप करा देंगे तो साधु महाराज जी कहते हैं अवश्य क्रा देंगे तुम कल आना

अगले दिन जब वह आदमी साधु महाराज के पास पहुँचा तो साधु महाराज जी कहते हैं चलो हमें आज एक पर्वत पर चढ़ना है
तो कहा कि तुम एक थैला लेलो उस पर   पाँच बड़े-बड़े पत्थर भर लो तो उस आदमी ने वैसा ही किया और तब चलने लगे
जब थोड़ी चढ़ाई आई तो वह आदमी कहता है महाराज जी थैला बड़ा भारी हो रहा है अगर आप कहें तो क्या में एक पत्थर नीचे गिरा दूं तो साधु महाराज कहते हैं ठीक है तब उसने एक पत्थर गिरा दिया फिर और चढ़ाई आई और फिर दुबारा उसने वैसा ही कहा साधु महाराज जी से की थैला भारी हो रहा है क्या मैं एक पत्थर और गिरा दूं ऐसा करते-करते उसने
सारे पत्थर गिरा दिये और वे पर्वत के शिखर पर पहुँच गये

तब उसे साधु महाराज समझाने लगे की जब तक तुम्हारे मन में पाँच(क्राम , क्रोध , लोभ , अहंकार , ईर्ष्या) रूपी पाँच पत्थर रहेंगे तो तुम्हारा मन मैला रहेगा और तुम कभी भी भगवान का दर्शन नही कर पाओगे और जब तुम इन्ही पाँच रूपी पत्थरों को गिरा दोगे तो मन हल्का हो जाएगा यानी मन पवित्र हो जाएगा औट तुम भगवान के दर्शन कर पाओगे

सत्संग ही एक साधन है जिसमें आने के बाद मनुष्य इन पाँच रूपी पत्थरों से मुक्ति पा सकता है और अपना मन प्रभु के नाम में लगा सकता है इसके लिए उसे सतगुरु के पास जाना होगा उन्हे दंड वत प्रणाम कारण होगा और उनके पास एक बच्चे सा दिल लेकर जाना चाहिए(यानी पवित्र मन) तभी वे अमर ज्ञान देंगे औट तुम्हारे सारे भ्रंम मिटा देंगे और तुम ईश्वर का साक्षात्कार कर पाओगे



श्री सतगुरु चरण कमलेभयो नमः

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