महापुरुषों का जन्म मनुष्य को सही मार्ग दिखाने के लिए होता है
महापुरुषों का जन्म मनुष्य का जाति से हटकर वह पावन ज्ञान देना है जो सब में समाया हुआ है जल में , तल में , नभ में , आकाश , हाथी , चींटी , गाय , भैंस , घोड़ा , पक्षी सब में समाया हुआ है सच्चा ज्ञानी वह जो सब को एक समान देखता है
सब से प्यार करता है , वह सब को बराबर समझता है , और परम प्रभु का निरंतर चिंतन करता रहता है , उसका मन एक बच्चे के समान पावन होता है
जिस प्रकार एक बच्चे को देखिए कहीं बिठा दीजिए तो वह एक चिड़िया को देखकर ताली बजाता है , और साँप बिच्छू को भी देखकर खुश होता है और ताली बजता है क्योंकि उससे किसी की दुश्मनी नही है लेकिन जब जब वह बड़ा हो जाता है
तो उसके मन में अहम का भाव आजाता है और फिर उसका मन दूषित हो जाता है , लेकिन जिस का मन पवित्र होता है तो वह आत्म ज्ञान के लायक होता है क्योंकि पवित्र मन उस परम ज्ञान को धारण कर सकता है अपित्र मन तो पहले से ही भरा हुआ है , अहंकार . क्रोध , लोभ , मौह इसलिए वह ज्ञान के काबिल नही है
ज्ञान के काबिल होने के लिए हमें अपना मन पवित्र करना होगा
साई बाबा कहते हैं मैं सब में समाया हुआ हूँ लेकिन तुम मुझे इन नेत्रों से नही देख सकते हैं इसके लिए तुम्हे आत्म ज्ञान लेने होगा तब तुम्हारा मन की आँख खुलेगी और तुम मुझे देख पाओगे
महापुरुषों का जन्म मनुष्य का जाति से हटकर वह पावन ज्ञान देना है जो सब में समाया हुआ है जल में , तल में , नभ में , आकाश , हाथी , चींटी , गाय , भैंस , घोड़ा , पक्षी सब में समाया हुआ है सच्चा ज्ञानी वह जो सब को एक समान देखता है
सब से प्यार करता है , वह सब को बराबर समझता है , और परम प्रभु का निरंतर चिंतन करता रहता है , उसका मन एक बच्चे के समान पावन होता है
जिस प्रकार एक बच्चे को देखिए कहीं बिठा दीजिए तो वह एक चिड़िया को देखकर ताली बजाता है , और साँप बिच्छू को भी देखकर खुश होता है और ताली बजता है क्योंकि उससे किसी की दुश्मनी नही है लेकिन जब जब वह बड़ा हो जाता है
तो उसके मन में अहम का भाव आजाता है और फिर उसका मन दूषित हो जाता है , लेकिन जिस का मन पवित्र होता है तो वह आत्म ज्ञान के लायक होता है क्योंकि पवित्र मन उस परम ज्ञान को धारण कर सकता है अपित्र मन तो पहले से ही भरा हुआ है , अहंकार . क्रोध , लोभ , मौह इसलिए वह ज्ञान के काबिल नही है
ज्ञान के काबिल होने के लिए हमें अपना मन पवित्र करना होगा
साई बाबा कहते हैं मैं सब में समाया हुआ हूँ लेकिन तुम मुझे इन नेत्रों से नही देख सकते हैं इसके लिए तुम्हे आत्म ज्ञान लेने होगा तब तुम्हारा मन की आँख खुलेगी और तुम मुझे देख पाओगे
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